सिद्धों को नाथ जी के नाम से मत करो संबोधन


आदेशआदेश
सिद्ध 
जाती जाट समाज से निकली हुई एक गोत्र है इस जाती में 36 नियमो का पालन किया जाता है जो जसनाथ जी महाराज ने बताए
मतलब नाथ ओर सिद्ध दोनों अलग अलग है इसलिए सिद्ध को सिद्ध से ही पुकारना चाइए नहीं की नाथ से
नाथ एक अलग गोत्र है उनका अलग नियम है वो जसनाथी नहीं होते
यदि सिद्धों को नाथ जी से संबोधन किया जाता इसका मतलब तो सिद्ध ओर नाथ दोनों का विलय हो गया
तो सिद्ध क्या हुवे
ओर नाथ क्या हुवे
इसका मतलब है
सिद्ध समाज या सिद्ध जाती के व्यक्ति को उसके नाम से ही बुलाया जाय न कि नाथ जी
से
आगे से आगे shere करे
ओर सबको सतर्क करे
कैलाश सिद्ध
नाथूसर

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