श्री जसनाथ जी के 36 नियम

36 धर्म

नेम छत्तीस हि धर्म के , कहे गुरु जसनाथ |

या विध धर्म सुधारसी , भव सागर तिरजात ||



1. जो कोई जात हुए जसनाथी |

2. उत्तम करणी राखो आछी ||

3. राह चलो धर्म अपना रखो |

4. भूख मरो पण जीव न भखो ||

5. शील स्नान सांवरी सूरत |

6. जोत पाठ परमेश्वर मूरत ||

7. होम जाप अग्नि सुर पूजा |

8. अन्य देव मत मानो दूजा ||

9. ऐंठे मुख से फूंक न दीजो |

10. निकम्मी बात कालमत कीजो ||

11. मुख से राम नाम गुण लीजो |

12. शिव शंकर को ध्यान धरीजो ||

13. कन्या दाम कदे नहीं लीजो |

14. ब्याज वसे वो दूर करीजो ||

15. गुरू की आशा विसवंत बांटो |

16. काया लगे नहीं अग्नि कांटो ||

17. हूको तमाखु पीजे नाहीं |

18. लसन अरि भांग दूर हटाई ||

19. साटिये सोदा वर्जित ताई|

20. बेल बढ़ावन पावे नाहीं ||

21. मृगां वन में रखत कराई |

22. घेटा बकरा थाट सवाई ||

23. दया धर्म सदा ही मन भाई |

24. घर आया सतकार सदाई ||

25. भूरी जटा सिर पर रखीजे |

26. गुरु मंत्र हृदय में धरीजे ||

27. देही भोम समाधी लीजे |

28. दूध नीर नित्य छाण रखीजे ||

29. निंदा कूड़ कटक नहीं कीजे |

30. चोरी जारी पर हर दीजे ||

31. रजश्वाला नारी दूर करीजे |

32. हाथ उसका जल नहीं लीजे ||

33. काला पानी पीजे नाहीं |

34. नाम उसी का लीजे नाहीं||

35. दस दिन सूतक पाले भाई|

36. कुल की काट करीजे नाहीं ||।   

कैलाश सिद्ध जोधपुर 9610793200

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